बदनाम हैं वैसे तो शहर में दरियादिली के लिए;
भिङना कभी; जान जानोगे की हममें ज़ज़बात नही है ।
दिली तमन्ना है जो तुम्हारी, थूकते
तक नहीं उसपर हम ;
और आप पूछते
हैं कि क्यों मलते हमारे ख़यालात
नही है?
दोस्ती तो फ़िर भी बड़ी चीज़ है मेरे दोस्त;
अरे तुम्हारी तो हमसे दुश्मनी की भी औकात नही है ।
- सौरभ राय (Saurabh Roy)
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