अपनी सहेलियों
को हमारे बारे में बार बार बतलाती है ।
हमारे शरारतों पे गुस्सा आता है तुम्हे?
हमें मालूम है कि ये गुस्ताखियाँ तुम्हे भी गुदगुदाती है ।
खुद न मिलना हो तो अपनी सहेली से ही मिलवा दो;
न जाने कब से वो हमारे अरमान अपने दिल में जलाती है ।
- सौरभ राय (Saurabh Roy)
- सौरभ राय (Saurabh Roy)
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