Sunday, 27 March 2016

Shayari Urdu




माना कि नूर--रुख्सार से रोशन है तू,
शक्ल--सूरत से परमैं भी तो कुछ कम नही 
नफ़रत से ही सही पर देखती तो है मुझको तू,
अब तो तेरी रुसवाई में भी वो दम नही 
दिल  तोङेंगे ये कह के फ़ेर लेती है तू निगाहें,
क्या है फ़ितरत मे तेरी गर ये सितम नही 
तेरी नाज़ो को इबादत समझते रहे हम,
अरे कल देखा था गैर के साथ अब कोइ भरम नही 
क्यों करे तकिये गीले याद में तेरे,
जब कि तेरे खयालातों मे ही हम नही 
छोड़ कर चली जा मुझे तू बेशक,
थाम ले गैर का हाथ 
लाखों हसिनाए हैं राहों मे,
अब तो तेरे जाने का भी ग़म नही 

- सौरभ राय (Saurabh Roy)

Sunday, 6 March 2016

Hindi Shayari





सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर,
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है ।।