Sunday 24 January 2016

Inspirational Shayri







क्या हुआ अगर अभी थके नज़र  रहे हैं?
मैदान--जंग में खुद को उतारेंगे फिर कभी|
गफलत में मत रहना की ठण्डे पर गए हैं हम;
अपने लहू की धार को उबालेंगे फिर कभी|
दो कदम आगे क्या निकल गए हमसे नज़र मिलाने लगे?
ज़िंदगी के हर मोड़ पर तुमको पछारेंगे फिर कभी|
 मेरे बदन के चन्द खरोंचों पे इतरा लो जितना इतराना है;

लहूलुहान तुम्हे कर के हुंकारेंगे फिर कभी|

- सौरभ राय (Saurabh Roy)

Wednesday 20 January 2016

Shayri





तेरे ख़्वाबों को दिल मे सजया बहुत है
दिल के पास ही सही, पर इन दूरियों ने रुलया बहुत है
तमन्ना तो है कि हर शाम तेरे साथ गुज़ारे
क्या करें मगर ?
तेरे शहर का किराया बहुत है

- सौरभ राय (Saurabh Roy)

Sunday 17 January 2016

Shayari





जब जब उनकी यादों ने सतया,
तब तब उन्हे याद किया 
जब जब तन्हाई ने हमें रुलया​,
तब तब उन्हे याद किया 
लिपटे रहती हैं यादें उनकी फ़ुर्सत में हमसे 
हमें अब तो ये भी खबर नही है;

कि कब कब उन्हे याद किया 

- सौरभ राय (Saurabh Roy)

Wednesday 13 January 2016

Shayari on Life



किसी के जी-हुजूरी हम अपना मुकाम समझ बैठे हैं,
मुनाफे के एक टुकरे कोएहसान समझ बैठे हैं 
अब क्या बात करें अपनी शख्सियत और हैसियत की ?
अब तो गले के पट्टे को पहचान समझ बैठे हैं 


- सौरभ राय (Saurabh Roy)

Sunday 10 January 2016

Hindi Shayari





डूब कर काम में कामिनी को भूल जाऐं जब;
आख़िर क्यों ख़फा  हो हमसे वो फिर ?
फ़ुर्सत के पलों में भी फ़ुर्सत  निकाल पायें जब;
आख़िर क्यों ख़फा  हो हमसे वो फिर ?
रूठे रहे हमसे वो और हम उनको माना  पाए जब;
आख़िर क्यों ख़फा  हो हमसे वो फिर ?
उन्हें तो हजारों बार समझा दिया है अब तक हमने,
मगर खुद को ही नही समझा पाते हैं हम अब;
आख़िर क्यों ख़फा  हो हमसे वो फिर ?

- सौरभ राय (Saurabh Roy)

Wednesday 6 January 2016

Shayari




खुद अपने ही ऑसुओं को पिया नही करते 
ग़म को दिल मे रख कर जिया नही करते 
ऊन्हे मोहब्बत है अगर तो आके बता दें हमें;
पीछा हसिनाओं का हम भी किया नही करते 

- सौरभ राय(Saurabh Roy)