Monday 28 December 2015

Hindi Shayari




अपने बारे में तो कुछ बताती नही है वो;
अपनी सहेलियों को हमारे बारे में बार बार बतलाती है
हमारे शरारतों पे गुस्सा आता है तुम्हे?
हमें मालूम है कि ये गुस्ताखियाँ तुम्हे भी गुदगुदाती है
खुद मिलना हो तो अपनी सहेली से ही मिलवा दो;
जाने कब से वो हमारे अरमान अपने दिल में जलाती है

- सौरभ राय (Saurabh Roy)


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